पूर्णिया, बिहार दूत न्यूज।
शिशुओं के बेहतर स्वास्थ्य के लिए उनकी माताओं को स्वस्थ होना अतिआवश्यक है। गर्भवती महिलाओं के स्वस्थ रहने के लिए सबसे जरूरी है बेहतर पोषण का उपयोग करना। यदि गर्भवती या धात्री महिलाओं द्वारा बेहतर पौष्टिक आहार का सेवन कर अपने आप को स्वस्थ रखा जाए तो उनके बच्चों को भी स्वस्थ जीवन मिल सकता है। सरकारी अस्पतालों के माध्यम से गर्भवती महिलाओं को बेहतर पोषण की जानकारी पहुँचाने के लिए जिला स्वास्थ्य विभाग तथा यूनिसेफ द्वारा जिले के सभी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों के बीसीएम, बीएचएम तथा केयर इंडिया के ब्लॉक मैनेजर को जिले के होटल सेन्टर पॉइंट में एकदिवसीय प्रशिक्षण दिया गया। सिविल सर्जन डॉ. एस के वर्मा की अध्यक्षता में ‘मातृत्व स्वास्थ्य एवं पोषण’ पर आधारित प्रशिक्षण में पटना मेडिकल कालेज और हॉस्पिटल के डॉ. राजेश डॉ. रंजीत सिन्हा तथा डॉ. संदीप घोष (राज्य पोषण अधिकारी, यूनिसेफ पटना) द्वारा सभी स्वास्थ्य कर्मियों को प्रशिक्षण दिया गया। आयोजित प्रशिक्षण में डीपीएम स्वास्थ्य ब्रजेश कुमार सिंह, यूनिसेफ डिविजनल कोऑर्डिनेटर देवाशीष घोष, जिला कंसल्टेंट विकास कुमार, डिटीएल केयर इंडिया आलोक पटनायक व अन्य स्वास्थ्य कर्मियों ने भाग लिया।
सही जानकारी महिलाओं और शिशुओं को रखेगा स्वास्थ्य :
प्रशिक्षण में सिविल सर्जन डॉ एस के वर्मा ने कहा कि किसी भी व्यक्ति को बेहतर स्वस्थ के लिए बेहतर पोषण का लेना आवश्यक है। मुख्य रूप से गर्भवती महिलाओं और नवजात शिशुओं को सही पोषण का मिलना जरूरी है। लोगों तक बेहतर पोषण की जानकारी पहुँचाने में स्वास्थ्य कर्मियों का बड़ा योगदान होता है। इसलिए सभी स्वास्थ्य कर्मियों को इसकी विशेष जानकारी होना जरूरी है। इसके लिए यूनिसेफ द्वारा तकनीकी सहयोग किया जा रहा है। स्वास्थ्य कर्मियों के प्रशिक्षित होने से लोगों को इसका लाभ मिल सकेगा।
गर्भवती महिलाओ के करना है बीएमआई का आंकलन:
प्रशिक्षण में प्रशिक्षक डॉ. संदीप घोष ने कहा गर्भवती महिला को प्रति माह बीएमआई (बॉडी मास इंडेक्स) जांच करवानी चाहिए। बीएमआई 18.9 से 23 के बीच होना सामान्य होने का लक्षण है। गर्भवती महिला को गर्भ के समय उच्च रक्तचाप, गर्भ के दौरान डाइबिटीज, मलेरिया, टीबी, फ्लूरोसिस, घेघा रोग, पेशाब के रास्ते का संक्रमण, यौन संचारित रोग, जलन, कब्ज, एचआईवी आदि की जांच करानी चाहिए। प्रथम एवं तीसरी तिमाही में ओरल ग्लूकोज, प्रत्येक तिमाही में खून की हीमोग्लोबिन जांच, यूरिन की अल्बुमिन तथा चीनी जांच जरूरी है। अगर महिला एनीमिया ग्रसित हो तो उसे दो आयरन की गोली सुबह शाम लिया जाना चाहिए। साथ ही, डॉ घोष के यह भी बताया की राज्य में चल रहे अनमोल (ANMOL) कार्यक्रम के तहत बीएमआई का आंकलन एएनएम द्वारा ही किया जाना है जिससे गर्भवती महिलाओ में कुपोषण का आंकलन आसानी से किया जा सकता है।
महिलाओं के भोजन में पौष्टिक आहार का होना जरूरी :
प्रशिक्षक डॉ. रंजीत सिन्हा ने कहा बच्चों के स्वस्थ रहने में उनकी माताओं की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। महिलाओं को इसके लिए गर्भावस्था से ही ध्यान रखना जरूरी होता है जो बच्चे के जन्म के बाद भी बदस्तूर जारी रहता है। महिलाओं को गर्भावस्था की पुष्टि होने के बाद से ही बेहतर पोष्टिक भोजन लेना चाहिए। ऐसे महिलाओं को दिनभर में कम से कम पांच बार भोजन लेना चाहिए। जिसमें दो बार भारी भोजन तथा दो बार हल्का भोजन जरूरी है। पौष्टिक आहार के रूप में महिलाएं ताजे फल, हरी पत्तेदार सब्जियां, दूध, अंडा आदि का सेवन कर सकती है। गर्भवती महिलाओं को चाय, कॉफी, कोल्ड ड्रिंक्स पीने से परहेज करना चाहिए। गर्भावस्था में महिलाओं को कच्चा पपीता, तला हुआ भोजन आदि नहीं खाना चाहिए। सही पोषण से ही उनका होने वाला बच्चा तंदुरुस्त व स्वस्थ हो सकेगा। जन्म के बाद बच्चों को पहले छः माह सिर्फ और सिर्फ स्तनपान कराना चाहिए। यह शिशु के प्रतिरोधक क्षमता का विकास करता है।