Download App

स्तनपान में छिपा है नवजात का बेहतर स्वास्थ्य

पूर्णिया, बिहार दूत न्यूज।

Advertisement

नवजात शिशुओं की बेहतर देखभाल में स्तनपान की भूमिका सबसे महत्वपूर्ण है। इसको लेकर सभी स्वास्थ्य केन्द्र में बच्चों के जन्म के तुरंत बाद स्वास्थ्य कर्मियों द्वारा माताओं को इसकी जानकारी देकर जागरूक किया जाता है। स्वास्थ्य केन्द्रों में होने वाले प्रसव के बाद नर्स एवं चिकित्सकों द्वारा एक घंटे के भीतर शिशु को स्तनपान सुनिश्चित कराने पर अधिक ज़ोर दिया जाता है। अस्पताल से डिस्चार्ज होने पर माताओं को 6 माह तक केवल स्तनपान कराये जाने के विषय में विशेष परामर्श भी दिया जाता है।

बेहतर स्तनपान करता है डायरिया एवं निमोनिया से शिशुओं का बचाव

अस्पताल में उपस्थित चिकित्सक व नर्स द्वारा संस्थागत प्रसव के लिए अस्पताल में उपस्थित अधिक से अधिक लोगों को स्तनपान के फायदों से अवगत कराने पर ज़ोर दिया जाता है। लोगों को बताया जाता है कि शिशु के लिए 1 घन्टे के भीतर माँ का पीला गाढा दूध एवं 6 माह तक केवल स्तनपान बहुत जरूरी होता है। यदि बच्चे को जन्म के पहले घंटे के अंदर माँ का पहला पीला गाढ़ा दूध पिलाया जाये तो ऐसे बच्चों की रोग प्रतिरोधक क्षमता में वृद्धि होती है। स्तनपान शिशु को डायरिया एवं निमोनिया जैसे गंभीर रोगों से भी बचाव करता है, जो शिशुओं के बेहतर पोषण की बुनियाद होती है। इसलिए जिले के सभी अस्पतालों में दंपत्तियों को शिशुओं के जन्म के बाद छः माह तक केवल स्तनपान कराने के लिए लोगों को जागरूक किया जा रहा है।

स्तनपान के फ़ायदे

• रोग-प्रतिरोधक क्षमता में वृद्धि

• शिशु मृत्यु दर में कमी
• डायरिया एवं निमोनिया से बचाव
• सम्पूर्ण शारीरिक एवं मानसिक विकास
• अन्य संक्रामक रोगों से बचाव

क्या आप जानते हैं

जिला प्रतिरक्षण पदाधिकारी डॉ. विनय मोहन ने बताया कि लेसेंट-2016 कि रिपोर्ट के अनुसार, संक्रमण से होने वाले 88 प्रतिशत बाल मृत्यु दर में स्तनपान से बचाव होता है व शिशुओं में 54 प्रतिशत डायरिया के मामलों में कमी आती है। स्तनपान से शिशुओं में 32 प्रतिशत श्वसन संक्रमण के मामलों में भी कमी आती है। शिशुओं में डायरिया के कारण अस्पताल में भर्ती होने के 72 प्रतिशत मामलों में स्तनपान बचाव करता है। उन्होंने कहा कि रिपोर्ट के अनुसार, बेहतर स्तनपान साल में विश्व स्तर पर 8.20 लाख बच्चों की जान बचाता है। इसलिए सभी लोगों को शिशुओं के जन्म बाद पहले घण्टे से छः माह तक केवल स्तनपान कराना चाहिए।

“माँ” कार्यक्रम स्तनपान को दे रहा बढ़ावा

जिला कार्यक्रम पदाधिकारी ब्रजेश कुमार सिंह ने बताया कि स्वास्थ्य विभाग द्वारा सामुदायिक स्तर पर गर्भवती एवं धात्री माताओं के साथ परिवार के अन्य सदस्यों के बीच स्तनपान को लेकर सकारात्मक माहौल तैयार करने के उद्देश्य से मदर एब्सुलेट अफेक्सन प्रोग्राम (“माँ” कार्यक्रम) का संचालन किया जा रहा है। इस कार्यक्रम के तहत क्षेत्रीय स्तर तक लोगों को आशा, आंगनबाड़ी सेविका, एएनएम द्वारा अधिक से अधिक परिवारों को स्तनपान के बारे में जानकारी दी जा रही है।

Leave a Comment

क्या वोटर कार्ड को आधार से जोड़ने का फैसला सही है?
  • Add your answer
Translate »
%d bloggers like this: