कटिहार, बिहार दूत न्यूज।
जिले को फाइलेरिया मुक्त बनाने के लिए जिला स्वास्थ्य समिति द्वारा विशेष फाइलेरिया क्लीनिक सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र, कोढ़ा में खोला गया। इस दौरान उपस्थित लोगों को फाइलेरिया से सुरक्षित रहने और फाइलेरिया ग्रसित मरीजों को आवश्यक सुविधाओं का लाभ उठाने की जानकारी दी गई। फाइलेरिया क्लीनिक के उद्घाटन के दौरान सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र कोढ़ा के प्रभारी चिकित्सा अधिकारी डॉ अजय कुमार सिंह, भीबीडीसीएस अमरनाथ सिंह, केबीएस ओमकार ठाकुर, पीसीआई जिला समन्यवक तपेश कुमार, बीएचएम मुकेश सिंह, सीएचओअमृता पटेल सहित अन्य स्वास्थ्य कर्मी व एएनएम उपस्थित रहे।
फाइलेरिया से सुरक्षित रहने के लिए जागरूकता जरूरी
फाइलेरिया क्लीनिक का उद्घाटन करते हुए प्रभारी चिकित्सा अधिकारी डॉ अजय कुमार सिंह ने कहा कि फाइलेरिया बीमारी लोगों को परजीवी क्यूलेक्स फैंटीगंस मादा मच्छर के काटने से होता है, जो अन्य मच्छरों के जैसे ही लोगों को काट कर अपना शिकार बनाता है। यह मच्छर फाइलेरिया ग्रसित मरीजों को काटकर खुद संक्रमित हो जाता है और उसके बाद दूसरे व्यक्ति को काटने पर उसे फाइलेरिया ग्रसित कर देता है। फाइलेरिया क्लीनिक के शुरू होने से फाइलेरिया के लक्षण दिखाई देने वाले लोगों की तत्काल जांच करते हुए आवश्यक उपचार किया जा सकता है। इसके साथ ही फाइलेरिया ग्रसित लोगों को भी नियमित रूप से सुरक्षित रहने के लिए आवश्यक दवाइयां व उपकरण उपलब्ध कराई जाएगी।
शरीर के कई अंगों में हो सकता है फाइलेरिया
भीबीडीसी अमरनाथ सिंह ने बताया कि फाइलेरिया बीमारी शरीर के कई अंगों में हो सकता है। यह बीमारी मुख्य रूप से व्यक्ति के पैर या अंडकोश को प्रभावित करता है जिसे लोग आमतौर पर हाथीपांव व हाइड्रोसील (अंडकोश का सूजन) कहते हैं। यह बीमारी महिलाओं के स्तन और जननांग को भी ग्रसित कर सकता है। इससे सुरक्षा के लिए लोगों को इसके प्रति जागरूक रहना आवश्यक है। फाइलेरिया के लक्षण दिखाई देने पर लोगों को तुरंत नजदीकी अस्पताल में जांच करवानी चाहिए। शुरुआत से इलाज करवाने से लोग फाइलेरिया ग्रसित होने से बच सकते हैं।
एमडीए कार्यक्रम में दवा खाएँ और रहें फाइलेरिया से सुरक्षित
फाइलेरिया उन्मूलन अभियान की जानकारी देते हुए जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी डॉ. जय प्रकाश सिंह ने बताया कि फाइलेरिया से सुरक्षा के लिए सरकार द्वारा हर साल एक बार सर्वजन दवा सेवन (एमडीए) कार्यक्रम चलाया जाता है। इसके द्वारा सभी लोगों को फाइलेरिया से सुरक्षा के लिए एल्बेंडाजोल और डीईसी की गोली खिलाई जाती है। लगातार पांच साल तक लोगों द्वारा गोली खाने पर वे फाइलेरिया ग्रसित होने से सुरक्षित रहते हैं। इसलिए सभी लोगों को सरकार द्वारा चलाये जा रहे इस अभियान में भाग लेकर अपने और अपने परिवार को फाइलेरिया से सुरक्षित करना चाहिए।
फाइलेरिया ग्रसित मरीजों को दिया जाता है एमएमडीपी किट
डॉ. जय प्रकाश सिंह ने बताया कि फाइलेरिया बीमारी से पूरी तरह उपचार का कोई इलाज उपलब्ध नहीं है। इससे ग्रसित मरीजों को स्वास्थ्य विभाग द्वारा नियंत्रित रखने के लिए मार्डीबिलिटी मैनेजमेंट एन्ड डिसेबिलिटी (एमएमडीपी) किट उपलब्ध कराई जाती है। एमएमडीपी किट के रूप में लोगों को एक टब व मग के साथ कॉटन बंडल, तौलिया, डेटॉल साबुन एवं एंटीसेप्टिक क्रीम प्रदान किया जाता है। एमएमडीपी किट द्वारा फाइलेरिया ग्रसित मरीजों को प्रभावित अंगों में दवाओं के इस्तेमाल करने और इसे सुरक्षित रखने की जानकारी दी जाती है ।
ऐसे बचे फाइलेरिया के मच्छरों से
• रात हो दिन, सोते समय मच्छरदानी का प्रयोग जरूर करें
• घर के अंदर एवं बाहर गंदगी नहीं होने दें
• मच्छरों से बचने के लिए शरीर के खुले अंगों पर मच्छर रोधी क्रीम का इस्तेमाल करें
• मच्छरों से बचने के लिए शरीर पर फुल स्लीव के कपड़े पहनें