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सेल्फ केयर से फाइलेरिया ग्रसित अंग को नियंत्रित रख सकते हैं मरीज..

बिहार दूत न्यूज, कटिहार। स्वास्थ्य के प्रति लोगों को जागरूक करने व लोगों तक विभिन्न स्वास्थ्य सुविधाओं का लाभ पहुंचाने में आशा कर्मियों की अहम भूमिका है। ऐसे में सभी आशा कर्मियों को फाइलेरिया बीमारी होने के कारण व उससे सुरक्षित रहने के लिए ध्यान रखने योग्य बातों की जानकारी आवश्यक है। आशा कर्मियों को फाइलेरिया की इन्हीं बिंदुओं की जानकारी देने के लिए डंखोरा प्रखंड के भमरेली पंचायत के मंडल पेशेंट सपोर्ट ग्रुप के नेटवर्क मेम्बर गुरुदेव रजक द्वारा स्वास्थ्य उपकेंद्र, भमरेली में आयोजित आशा क्लस्टर बैठक में भाग लिया गया। उक्त बैठक में फाइलेरिया मरीज व नेटवर्क मेम्बर गुरुदेव रजक द्वारा सभी आशा कर्मियों को अपने क्षेत्र में अन्य लोगों को फाइलेरिया बीमारी के लक्षण की पहचान करने और फाइलेरिया ग्रसित मरीजों को स्वास्थ्य लाभ लेने के लिए जागरूक करने की जानकारी दी है। इस आशा क्लस्टर बैठक की अध्यक्षता आशा फैसिलिटेटर कुमारी छंदा ने की । बैठक में स्वास्थ्य उपकेंद्र की एएनएम रंभा कुमारी, बुलबुल कुमारी के साथ उक्त पंचायत के सभी आशा कर्मियों ने भाग लिया ।

फाइलेरिया से सुरक्षित रहने के लिए आशा कर्मियों द्वारा किया जा सकता है लोगों को जागरूक :
क्लस्टर बैठक में आशा कर्मियों को पीएसजी नेटवर्क मेंबर गुरुदेव रजक ने बताया कि फाइलेरिया की बीमारी एक सामान्य से दिखने वाले क्यूलेक्स मच्छर के काटने से होता है ,जो किसी भी सामान्य लोगों को 4-5 साल बाद पता चलता है। फाइलेरिया ग्रसित होने पर लोगों को संक्रमित अंग में सूजन होने लगती है। एक बार यदि कोई व्यक्ति फाइलेरिया ग्रसित हो जाता तो उसे किसी तरह के इलाज द्वारा खत्म नहीं किया जा सकता है । लेकिन अगर लोग शुरुआत में ही इसकी पहचान कर लेते हैं तो इसे नियंत्रित रख सकते । इसके लिए स्वास्थ्य केंद्रों में आवश्यक दवाई उपलब्ध रहती है। लोगों को दवाइयों के साथ ही फाइलेरिया ग्रसित अंगों की नियमित साफ सफाई व कुछ एक्सरसाइज करना आवश्यक होता है। ऐसा करने से लोग फाइलेरिया ग्रसित अंगों में ज्यादा सूजन होने से रोक सकते हैं। जिससे उन्हें सामान्य जीवन यापन करने में आसानी हो सकती है। नेटवर्क मेम्बर ने सभी आशा कर्मियों को फाइलेरिया से सुरक्षित रहने के लिए सही तरीके से मच्छरदानी का उपयोग करने की बात लोगों तक पहुँचाने और उन्हें फाइलेरिया के प्रति जागरूक करने की अपील की है।

नाइट ब्लड सर्वे पर भी हुई चर्चा :
आशा कर्मियों को बताया गया कि फाइलेरिया बीमारी की पहचान के लिए स्वास्थ्य विभाग द्वारा रात्रि 08 बजे से 12 बजे तक लोगों की रक्त जांच की जाती है। जिसे नाइट ब्लड सर्वे कहा जाता है। इससे सम्बंधित क्षेत्र में क्यूलेक्स मच्छर के प्रकोप और उससे ग्रसित लोगों की जानकारी प्राप्त होती है। इसके लिए आशा कर्मियों को लोगों को जागरूक करने की जरूरत है । जिससे कि उस क्षेत्र के लोगों की रक्त जांच हो सके और फाइलेरिया के लक्षण दिखाई देने पर लोगों को तत्काल चिकित्सकीय सहायता प्रदान की जा सके। आशा कर्मियों को बताया गया कि नाइट ब्लड सर्वे के प्रति लोगों को जागरूक करने में फाइलेरिया ग्रसित लोगों द्वारा बनाये गए पेशेंट सपोर्ट ग्रुप में नेटवर्क मेंबर द्वारा भी सहयोग प्रदान किया जाएगा।

सेल्फ केयर द्वारा फाइलेरिया ग्रसित अंग को नियंत्रित रख सकते हैं मरीज :
नेटवर्क मेंबर गुरुदेव रजक ने आशा कर्मियों को बताया कि फाइलेरिया ग्रसित मरीजों को मेडिकल चेकअप के बाद सेल्फ केयर का भी ध्यान रखना चाहिए। सेल्फ केयर द्वारा मरीजों को फाइलेरिया ग्रसित अंगों की विशेष रूप से सफाई एवं आवश्यक एक्सरसाइज करना चाहिए। इससे फाइलेरिया ग्रसित अंगों में सूजन की समस्या को नियंत्रित रखा जा सकता और लोग आसानी से अपना सामान्य जीवनयापन कर सकते हैं।

कालाजार बीमारी से सुरक्षा पर भी हुई चर्चा :
क्लस्टर बैठक में आशा कर्मियों को कालाजार बीमारी होने के भी कारण उससे सुरक्षा के लिए स्वास्थ्य विभाग द्वारा होने वाले छिड़काव की जानकारी दी गई। आशा कर्मियों को कालाजार प्रभावित मरीजों को स्वास्थ्य विभाग द्वारा मिलने वाले 7100 रुपये अनुदान राशि की भी जानकारी दी गई।

फाइलेरिया मरीजों को स्वास्थ्य विभाग द्वारा दी जाती है एमएमडीपी किट :
जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी डॉ. जे. पी. सिंह ने फाइलेरिया उन्मूलन अभियान की जानकारी देते हुए बताया है कि फाइलेरिया ग्रसित मरीजों की बेहतर देखभाल के लिए स्वास्थ्य विभाग द्वारा एमएमडीपी किट भी प्रदान की जाती है। जिसमें फाइलेरिया ग्रसित मरीजों को टब, मग, तौलिया, कॉटन बंडल व महलम दिया जाता है। फाइलेरिया मरीज इससे फाइलेरिया ग्रसित अंगों की साफ- सफाई कर वहां महलम का उपयोग करते जिससे कि फाइलेरिया ग्रसित अंगों को विकराल रूप धारण करने से रोका जा सकता है। इसके लिए समय समय पर फाइलेरिया मरीजों को अस्पताल में जांच व उपलब्ध चिकित्सकीय सहायता का लाभ उठाना चाहिए।

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