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पंचर बनाने वाले का बेटा बना डाला ” इलेक्ट्रिक बाइक “

महज 7 महीनों में किया बड़ा कारनामा,बावजूद इसके कोई भी पदाधिकारी व जन प्रतिनिधि ने नहीं किया सम्मानित

बिहार दूत न्यूज, हाजीपुर।

छोटी उम्र में बड़ा कारनामा करने वाले इंटर के छात्र ने महज 7 महीनों में ” इलेक्ट्रिक बाइक ” बना कर कीर्तिमान स्थापित किया है।अपनी पढ़ाई में साइकिल से जाने की परेशानी से निजात पाने के लिए छात्र मोहम्मद रिजवान अंसारी ने बाइक बना लिया।यह बाइक बना कर पूरे देश में बिहार का नाम रौशन किया है और बिहारियों का सर फख्र से उंचा कर दिया है और उन लोगों के गालों पर जोरदार तमाचा भी जर दिया है जो इस देश में पंचर बनाने वाले को नीचा दिखाने की कोशिश में लगे रहते हैं।यह छात्र लोकतंत्र की धरती वैशाली जिले के जन्दाहा प्रखंड के विशनपुर खोपी पंचायत के निवासी पंचर बनाने वाले मजदूर मोहम्मद आफताब अंसारी के बेटे मोहम्मद रिजवान अंसारी है।जो अपने बचपन से ही कुछ नया करने का ख्वाब लिए अपने छात्र जीवन की शुरूआत की।पढ़ने के लिए जन्दाहा तक जाने के लिए साइकिल से थक जाने वाले छात्र मोहम्मद रिजवान अंसारी ने अपनी छोटी उम्र में बड़ा कारनामा करने की ठान लिया।मैट्रिक की पढाई के साथ-साथ अपने लिए कबाड़ के सामान से बाइक बनाने लगा।महज 7 महीने में ही इलेक्ट्रिक बाइक जेड प्लस नाम देकर बना दिया।जो अपने आप में अद्भुत और अनोखा होने के साथ-साथ अविश्वसनीय है।नये लुक और नये अंदाज में यह बाइक एक बार चार्ज होने पर 25-30 किलो मीटर तक अच्छे से चलती है।बाइक का डिजाइन भी आकर्षित करने वाला है।जबकि इसको बनाने में लगभग 16 हजार रूपए का खर्च आया है।मोहम्मद रिजवान अंसारी ने बताया कि इस बाइक को बनाने में मेरे घर वाले ने पूरी मदद की।मोहम्मद रिजवान अंसारी की इस कारनामे से पूरा परिवार भी खुश है और इस बेटे पर फख्र कर कर रहा है।इनके दादा मोहम्मद अकबर अंसारी ने बताया कि घर में बचपन से ही रिजवान का अंदाज अलग रहा।पढ़ने के साथ-साथ कुछ न कुछ बनाने के लिए मेहनत करते रहा और आज इसने यह बाइक बना कर पूरे खानदान समेत गांव का नाम रौशन कर दिया।मां घरेलू महिला हैं लेकिन रिजवान को इसके लिए हमेशा हौसला बढ़ाती रही।मोहम्मद रिजवान अंसारी ने यह भी कहा कि इससे भी बढ़िया बाइक तैयार कर सकता हूं अगर मुझे सरकार या कोई कंपनी सपोर्ट करे तो।वैसे मोहम्मद रिजवान अंसारी की यह जेड प्लस बाइक काफी चर्चा में है और दूर दूर से लोग इसे देखने इसके घर पहुंच रहे हैं।हालांकि इस बड़े कारनामा करने वाले छात्र मोहम्मद रिजवान अंसारी को अब तक न तो प्रखंड के कोई अधिकारी मिलने आए हैं और न ही जिले से कोई अधिकारी।रिजवान नाम होने की वजह तो नहीं? वहीं मोहम्मद रिजवान अंसारी के घर पर अब तक न जाने कितने सोशल मीडिया चैनल वाले पहुंचे चुके हैं बावजूद इसके कोई जन प्रतिनिधि भी इस छात्र को सम्मानित नहीं किया और न ही इसके घर पहूँच कर मुबारकबाद पेश किया है।जिससे ऐसा लगता है कि पसमांदा समाज के होनहार छात्र की इस हुनर को पसमांदा समझ कर ही नजरअंदाज किया जा रहा है।

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