Download App

बिहार सरकार ने चुनावी पिटारे से निकाली है नौकरियां, वेतन के लिए नहीं है कोई उपबंध : डॉ. रणबीर नंदन 

पटना, बिहार दूत न्यूज।

Advertisement

बिहार में 1.20 लाख शिक्षकों को नियुक्ति पत्र देने के बाद भी वेतन माह का निर्धारण नहीं होने पर पूर्व विधान पार्षद व वरिष्ठ भाजपा नेता डॉ. रणबीर नंदन ने सवाल उठाया है। उन्होंने कहा है कि बिहार सरकार ने इतने शिक्षकों की नियुक्ति कर दी है। लेकिन सरकार ने अब तक यह नहीं बताया है कि इन नवनियुक्त शिक्षकों को वेतन कब से मिलेगा। यह भी नहीं बताया गया है कि सरकार इन नवनियुक्त शिक्षकों को वेतन देने के लिए कैसे फंड का प्रबंध करेगी। क्योंकि इन शिक्षकों के वेतन भुगतान पर जो राशि खर्च होगी, सरकार के पास कोई बजटीय उपबंध अब तक सार्वजनिक नहीं किया गया है।

डॉ नंदन ने पूछा है कि बिहार में विधानमंडल का शीतकालीन सत्र शुरू हो रहा है। सरकार को अभी यह बताना चाहिए कि क्या इस सत्र में इन नवनियुक्त शिक्षकों के भुगतान के लिए कोई वित्त विधेयक लाया जा रहा है या नहीं? क्योंकि जहां तक सूचना है कि नवनियुक्त शिक्षकों के वेतन भुगतान में वित्तीय वर्ष के बचे हुए महीनों में जितनी राशि खर्च होगी, उस राशि के उपबंध करने की सरकार के पास कोई व्यवस्था नहीं है। सरकार ने 2023-24 के आम बजट और अनुपूरक बजट में शिक्षकों के वेतन के लिए कोई प्रावधान नहीं किया है। ऐसे में अभी नवनियुक्त शिक्षकों के वेतन भुगतान की राशि कहां से बिहार सरकार लाएगी, यह बताए।

उन्होंने कहा कि कोई भी पद, योजना या गैर योजनांतर्गत, हो तो राशि की उपलब्धता के साथ सृजित किया जाता है। क्या राशि सहित इन पदों की नियुक्ति हुई है नहीं, सरकार यह बताए। उस राशि का सोर्स भी सरकार बताए। बिहार सरकार का राजस्व संग्रह इतना नहीं है कि केंद्र के मदद के बिना नवनियुक्त शिक्षकों के वेतन का भुगतान कर सके। इन शिक्षकों के वेतन भुगतान का क्या विकल्प है, यह जनता को बताना पड़ेगा। सरकार को जनता के लिए जवाबदेह होना होगा।

डॉ. नंदन ने कहा कि बिहार सरकार की आर्थिक स्थिति के अनुरूप यही लग रहा है कि इन शिक्षकों की जिस तरह नियुक्ति चुनावी पिटारे से निकाली गई है। वेतनभुगतान के लिए बिहार सरकार नया चुनावी खेल कर सकती है। सरकार निश्चित रूप से विभिन्न कार्यों के विकास हेतु यथा ग्रामीण सड़कें, पुल पुलिया निर्माण, विद्युत, हर घर नल योजना , महिला विकास, युवा विकास के राशि की कटौती कर और अन्य कार्यों हेतु भुगतान करेगी। इसलिए स्पष्ट हो गया है कि चुनावी साल में बिहार सरकार ने जो नियुक्तियों का पिटारा खोला है, वो सस्ती लोकप्रियता पाने का हथकंडा है। और इन नियुक्तियों के भुगतान की कोई निश्चित व्यवस्था सरकार के पास नहीं है।

डॉ. नंदन ने कहा कि बिहार की सरकार अपना पूरा विश्वास खो चुकी है। बजटीय खेलकर चुनावी मंसूबे पूरे करने की कोशिश करने में जुटी सरकार को इसी शीतकालीन सत्र में जनता के सामने यह स्पष्ट बताना होगा कि वित्तीय वर्ष 2023-24 में पारित किस योजना में कितना बजट अक्टूबर 2023 तक खर्च हुआ है और कितना बजट शेष है। बिहार सरकार बिना केंद्र सरकार के मदद के शिक्षकों को वेतन तो नहीं ही दे सकती। इन शिक्षकों को वेतन जितना जल्दी मिले उसकी जिम्मेदारी जितनी सीएम नीतीश कुमार की है उतनी ही तेजस्वी यादव की भी। तेजस्वी यादव की नैतिक जिम्मेदारी है कि इन प्रश्नों का जवाब दें,क्योंकि यह विभाग राजद के पास है।

Leave a Comment

क्या वोटर कार्ड को आधार से जोड़ने का फैसला सही है?
  • Add your answer
Translate »
%d bloggers like this: