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कमजोर शिशुओं के इलाज में मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल में संचालित एसएनसीयू हो रहा है कारगर साबित

  1. पूर्णिया, बिहार दूत न्यूज।

गर्भावस्था के दौरान गर्भवती महिलाओं की समुचित जांच और इलाज नहीं होने के साथ ही गर्भकाल के दौरान आवश्यक पोषण नहीं लेने के कारण होने वाला बच्चा बहुत कमजोर और विभिन्न बीमारियों से ग्रसित हो जाता है। ऐसे बच्चों को जन्म के बाद से ही पर्याप्त इलाज की जरूरत होती है। ऐसे बच्चों के इलाज में राजकीय चिकित्सा महाविद्यालय एवं अस्पताल में संचालित सिक न्यू बोर्न केयर यूनिट (एसएनसीयू), पूर्णिया। यहां न केवल पूर्णिया जिले के सरकारी अस्पताल में जन्म हो रहे कमजोर बच्चों का इलाज किया जाता है, बल्कि बाहरी अस्पतालों में जन्म होने वाले कमजोर नवजात शिशुओं को भी बेहतर इलाज करते हुए उन्हें बिल्कुल स्वस्थ बनाकर रवाना किया जाता है। इतना ही नहीं अगर कोई नवजात शिशु यहां उपलब्ध सुविधाओं से ठीक नहीं हो सकता है तो उन्हें बेहतर इलाज के लिए एम्बुलेंस के माध्यम से भागलपुर या पटना रेफर कर दिया जाता है। इससे लोगों को अपने बीमार नवजात शिशु का एसएनसीयू में इलाज करवाने की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है और ज्यादा से ज्यादा जरूरतमंद परिजन इसका लाभ उठा रहे हैं।

जन्म के साथ विभिन्न बीमारियों से ग्रसित और कम वजन वाले बच्चों के इलाज के लिए संचालित है एसएनसीयू :

राजकीय चिकित्सा महाविद्यालय एवं अस्पताल के शिशु विभाग के हेड ऑफ डिपार्टमेंटल और एसएनसीयू इंचार्ज डॉ प्रेम प्रकाश ने बताया कि गर्भावस्था के दौरान पर्याप्त चिकित्सकीय सहायता नहीं लेने के कारण होने वाला बच्चा बहुत कमजोर और बीमारी से ग्रसित जन्म लेता है। ऐसे बच्चों का वजन जन्म के साथ ही बहुत कम होता है और उन्हें सांस लेने में दिक्कत, हाइपोथर्मिया एवं हाइपोग्लेशिमिया जैसी बहुत समस्या होती है। इसके लिए उन्हें तत्काल चिकित्सक की निगरानी में रखने के लिए एसएनसीयू में एडमिट कराया जाता है जहां बच्चों को वार्मर में रखते हुए उनका बेहतर इलाज सुनिश्चित किया जाता है। कम वजन वाले बच्चों के साथ ही जन्म के दौरान बर्थ एक्सपेक्सिया, निमोनिया, जॉन्डिस, ब्लड इंफेक्शन, जन्म के दौरान गंदगी खाने वाले बच्चे, जन्म के बाद ऑक्सीजन लेवल कम रहने, सामान्य तापमान रहने वाले बच्चों को जन्म के बाद ही एसएनसीयू में एडमिट करते हुए चिकित्सकों द्वारा आवश्यक इलाज सुनिश्चित कराया जाता है। ऐसे बच्चे जो जन्म के एक मिनट बाद तक नहीं रोते हैं उन्हें बर्थ एक्सपेक्सिया की श्रेणी में रखा जाता है। ऐसे बच्चों को तत्काल एसएनसीयू में एडमिट करते हुए उनका बेहतर उपचार किया जाता है। इससे सभी बच्चे स्वस्थ होकर अपने घर पहुँचते हैं और अपना पूरा जीवन सामान्य रूप से यापन कर सकते हैं।

वित्तीय वर्ष 2023-24 में एसएनसीयू में 03 हजार 645 नवजात शिशुओं का हुआ इलाज :

डॉ प्रेम प्रकाश ने बताया कि वित्तीय वर्ष 2023-24 में एसएनसीयू पूर्णिया में 03 हजार 645 नवजात शिशुओं का इलाज किया गया है। उनमें से 949 बच्चे पूर्णिया जिले के मेडिकल कालेज से एसएनसीयू भेजे गए थे जबकि 02 हजार 696 बच्चे पूर्णिया जिले के आसपास के जिलों के रेफरल सरकारी एवं प्राइवेट अस्पतालों से एसएनसीयू में भेजे गए थे। इसमें 2500 ग्राम से कम वजन वाले 01 हजार 329 बच्चों को चिन्हित किया गया। इसके अलावा 1500 ग्राम से 1000 ग्राम वजन वाले 379 बच्चे और 1000 ग्राम से कम वजन वाले 104 बच्चे चिन्हित किये गए हैं। ऐसे बच्चों को एसएनसीयू में बेहतर इलाज करते हुए उन्हें स्वस्थ किया गया। एसएनसीयू में वित्तीय वर्ष 2024-25 में अप्रैल महीने में 238 और मई महीने में 277 बच्चों का उपचार किया गया है। जिन बच्चों को पूर्णिया एसएनसीयू में उपलब्ध सुविधाओं के कारण इलाज नहीं किया जा सकता उन्हें बेहतर इलाज के लिए एम्बुलेंस के माध्यम से बाहर रेफर कर दिया जाता है। एसएनसीयू में इलाज के दौरान बच्चों को सभी मेडिकल सुविधा निःशुल्क उपलब्ध कराई जाती है। इसके साथ ही बच्चों के परिजनों को एसएनसीयू वार्ड के बाहर रहने की व्यवस्था करते हुए उन्हें दो समय का खाना अस्पताल की ओर से उपलब्ध कराई जाती है। एसएनसीयू से डिस्चार्ज होने वाले बच्चों को एक सप्ताह में पहला फॉलोअप किया जाता है और उसके बाद कुछ दिनों के अंतराल पर फॉलोअप किया जाता है। साल भर में एसएनसीयू से डिस्चार्ज बच्चों को पांच बार फॉलोअप किया जाता है जिससे कि बच्चे के स्वस्थ होने की जानकारी ली जा सके।

बच्चों के इलाज के लिए पर्याप्त सुविधा के साथ वार्ड में उपस्थित रहते हैं चिकित्सक :

नवजात शिशुओं के इलाज के लिए एसएनसीयू में पर्याप्त सुविधा उपलब्ध है। यहां बच्चों के इलाज के लिए 24 वार्मर, 01 सी-पैप, 13 फोटो थेरेपी और 06 ऑक्सीजन कंसेंटेटर की व्यवस्था है। यहां बच्चों के इलाज के लिए 24 घंटे 02 प्रशिक्षित जीएनएम और 01 डॉक्टर उपलब्ध रहते हैं। प्रतिदिन ओपीडी कार्य अवधि के दौरान 02 चिकित्सक एसएनसीयू वार्ड में उपस्थित रहकर एडमिट बच्चों के स्वास्थ्य की आवश्यक जांच सुनिश्चित करते हैं। क्रिटिकल स्थिति में एसएनसीयू में एडमिट होने वाले बच्चों की पर्याप्त जांच और मेडिकल सहायता के लिए एसएनसीयू इंचार्ज और नोडल चिकित्सक कभी भी उपस्थित हो सकते हैं। इससे एसएनसीयू में इलाज करवाने वाले ज्यादातर बच्चों को निश्चित समय में स्वस्थ करते हुए उन्हें परिजनों को सुपुर्द किया जाता है।

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