Download App

ललन ने डुबोई नीतीश की लुटिया!

बिहार दूत न्यूज, पटना।
सियासत में ऊंट कब किस करवट बैठेगा यह कह पाना बहुत ही मुश्किल काम है। लेकिन राजनीति में हर कदम फूंककर चलने वाला ही सफल राजनेता होता है। इस मायने में बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को कम नहीं आंका जा सकता है। एक तरफ जहां बिहार की सियासत में 17 वर्षों से सत्ता में अपने विकास मॉडल के बूते टीके हुए हैं। जबकि 20 माह एनडीए से अलग होकर पुनः सत्ता पर काबिज हो गए थे। बात करें अगर यूपी चुनाव की तो वहीं जदयू को पटखनी मिलना और भाजपा की पुनर्वापसी पर राजनीतिक गलियारे में कई सवाल खड़े होने लगे हैं। सवाल उठना भी लाजिमी है। जदयू के नवनिर्वाचित अध्यक्ष राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह की बेचैनी इतनी बढ़ गई थी कि उन्होंने यूपी चुनाव में एनडीए से अलग होकर चुनाव क्या लड़े जदयू और नीतीश कुमार की साख को ही दांव पर लगा दिए।
आज की तारीख में यूपी में एनडीए की सरकार बनने जा रही है। लेकिन जहां जदयू वहां की सरकार में एक-दो सीट भाजपा समर्थित होकर जीतकर योगी मंत्रीमंडल का हिस्सा बनता और जदयू को केंद्रीय पार्टी का दर्जा दिलाने में थोड़ी सहयोगी साबित होता वहीं इस तरह ललन सिंह के वर्चस्व और अतिमहत्वाकांक्षा ने सड़क से लेकर सदन तक अपने साथ-साथ नीतीश कुमार को भी हाशिए पर लाकर खड़ा कर दिया है। हालांकि केंद्रीय मंत्री आरसीपी सिंह यूपी में भाजपा से बात करके अपनी पार्टी को सीट दिलाने की बात बार बार कह रहे थे कि थोड़ा इंतजार किया जाए। मगर होनी को तो कुछ और ही मंजूर था। नतीजा सामने है तो कुछ कहने की जरुरत नहीं है।
राजनीतिक पंडितों की मानें तो ललन सिंह को तपाकी कदम उठाने से पहले सोचना चाहिए था। यूपी की बारिकियों को काफी करीब से समझने की जरुरत थी। मगर यहां तो राष्ट्रीय अध्यक्ष साहब अपना अंक बढ़ाने की फिराक में पार्टी को यूपी में औंधेमूंह गिरा दिए।
अब रुख करते हैं मणिपुर में जदयू की 6 सीटों पर जीत की, तो ये पार्टी के हक में तो बेहतर है। लेकिन इस जीत के पीछे अगर गौर किया जाए तो नीतीश कुमार का फेस वैल्यू और उनका पहले से तैयार किया गया मैदान ही है जो इनकी झोली में 6 सीट देकर नीतीश कुमार और जदयू का मान बढ़ाया है। इस सीट पर अगर जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष अपना सीना चौड़ा करेंगे तो हास्यास्पद होगी, क्योंकि पार्टी में एक-एक कार्यकर्ता और राजनेता को इस बात की जानकारी है। अब ऐसे में देखना यह दिलचस्प है कि जदयू की आगे की राजनीति में कौन सा अगला कदम होगा यह तो आने वाला समय ही बताएगा।

Advertisement

Leave a Comment

क्या वोटर कार्ड को आधार से जोड़ने का फैसला सही है?
  • Add your answer
Translate »
%d bloggers like this: