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01 से 19 वर्ष के बच्चों को खिलाई जाएगी अल्बेंडाजोल की गोली..

बिहार दूत न्यूज, पूर्णिया।

जिले में आज राष्ट्रीय कृमि मुक्ति दिवस कार्यक्रम का संचालन किया जाएगा। इस दौरान जिले में 01 वर्ष से 19 वर्ष तक के सभी बच्चों को अल्बेंडाजोल की गोली खिलाई जाएगी। जिससे कि बच्चों को शरीर में होने वाले कृमि से सुरक्षित किया जा सके। इसके लिए जिले के सभी प्रखंडों में अल्बेंडाजोल की दवा उपलब्ध करा दी गई है। जिसे स्वास्थ्य विभाग द्वारा प्रखंड के सभी विद्यालयों, आंगनबाड़ी केंद्रों में उपलब्ध करा दिया गया है। बच्चों को सही तरीके से अल्बेंडाजोल की दवा खिलाने के लिए स्वास्थ्य विभाग द्वारा आंगनबाड़ी सेविकाओं व आशा कर्मियों को प्रशिक्षण भी दिया गया है।

जिले में 20 लाख से अधिक बच्चों को खिलायी जाएगी अल्बेंडाजोल :
सिविल सर्जन डॉ. एस. के. वर्मा ने कहा कि राष्ट्रीय कृमि मुक्ति दिवस के अवसर पर शुक्रवार को जिले में 1 से 19 वर्ष के सभी बच्चों को अल्बेंडाजोल की दवा खिलाई जाएगी। इसके लिए सभी अस्पतालों, विद्यालयों, आंगनबाड़ी केंद्रों में दवा उपलब्ध कराई जा चुकी है। जिले में 1 से 19 वर्ष के 20 लाख 19 हजार 946 बच्चे चिह्नित किए गए हैं। उन सभी लोगों को कृमि मुक्ति दिवस पर दवा वितरण किया जाएगा। इसके अलावा अगर कोई बच्चा इस दिन दवा सेवन से वंचित रह जाता है तो उसके लिए 26 अप्रैल को मॉपअप राउंड चलाया जाएगा। जिससे कि सभी लोगों को दवा उपलब्ध हो सके।

कार्यक्रम के सफल क्रियान्वयन के लिए आशा-सेविकाओं को दिया गया प्रशिक्षण :
कृमि मुक्ति कार्यक्रम के सफल क्रियान्वयन के लिए सभी प्रखंडों में आशा-सेविकाओं को प्रशिक्षण दिया गया है। गुरुवार को सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र कसबा में केयर इंडिया द्वारा आयोजित प्रशिक्षण कार्यक्रम में केयर प्रखंड मैनेजर साहिल कुमार ने कहा कि सभी सेविकाओं व आशा कर्मियों को बच्चों में अल्बेंडाजोल दवा वितरण की जानकारी दी गई है। उन्हें जानकारी दी गई है कि बच्चों को उनके उम्र के अनुसार ही दवा खिलायी जानी है। 1 से 2 वर्ष के बच्चों को अल्बेंडाजोल की 400 एमजी का आधा टैबलेट चूरन बनाकर पानी के साथ खिलाया जाना है। 2 से 3 वर्ष के बच्चों को 400 एमजी अल्बेंडाजोल का पूरा टैबलेट पानी के साथ चूर्ण बनाकर खिलाया जाना है। 03 वर्ष से 19 वर्ष तक के बच्चों को एक पूरा टैबलेट चबाकर खिलाया जाएगा। इसके बाद वे बच्चे पानी का सेवन कर सकते हैं।

शारीरिक एवं मानसिक विकास बाधित करती है कृमि :
कसबा बीसीएम उमेश पंडित ने कहा कि बच्चों में कृमि संक्रमण, व्यक्तिगत अस्वच्छता तथा संक्रमित दूषित मिट्टी एवं संपर्क से होता है। कृमि के संक्रमण से बच्चों के पोषण स्तर एवं हीमोग्लोबिन स्तर पर गहरा दुष्प्रभाव पड़ता है। जिससे बच्चों का शारीरिक और बौद्धिक विकास प्रभावित होता है। कृमि ऐसे परजीवी हैं, जो मनुष्य के आंत में रहते हैं। आंतों में रहकर ये परजीवी जीवित रहने के लिए मानव शरीर के आवश्यक पोषक तत्वों पर ही निर्भर रहते हैं। जिससे मानव शरीर आवश्यक पोषक तत्वों की कमी का शिकार हो जाता और वे कई अन्य प्रकार की बीमारियों के शिकार हो जाते हैं। खासकर बच्चों, किशोर एवं किशोरियों पर कृमि के कई दुष्प्रभाव पड़ते हैं। जैसे- मानसिक और शारीरिक विकास का बाधित होना, कुपोषण का शिकार होने से शरीर के अंगों का विकास अवरूद्ध होना, खून की कमी होना आदि जो आगे चलकर उनकी उत्पादक क्षमता को बुरी तरह प्रभावित करते हैं। इसके लक्षणों में दस्त, पेट में दर्द, कमजोरी, उल्टी और भूख का न लगना आदि हैं। संक्रमित बच्चों में कृमि की मात्रा जितनी अधिक होगी उनमें उतने ही अधिक लक्षण परिलक्षित होते हैं। हल्के संक्रमण वाले बच्चों व किशोरों में आमतौर पर कोई लक्षण नहीं दिखाई पड़ते हैं। इससे सुरक्षा के लिए सभी बच्चों को नियमित रूप से अल्बेंडाजोल का सेवन आवश्यक है। इसके लिए स्वास्थ्य विभाग द्वारा कृमि मुक्ति दिवस पर विशेष कार्यक्रम द्वारा उन्हें इसका सेवन कराया जाएगा।

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