पटना: सभी राज्यों में दलित का शोषण हो रहा है। दलितों को अछूत क्यों मानते हैं। लोकतांत्रिक लोक राज्यम पार्टी के संस्थापक सह राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित कुमार चौधरी ने प्रधानमंत्री को लिखा है।
उन्होंने कहा कि भारत की संस्कृति लोक राज्यम की अवधारणा में सत्य,आत्मा शरीर संयोग से समावेश मानती है। जिसके आयाम में जन-जन का जीवन है ये जो भारत की गणतांत्रीक व्यवस्था है। जहां जातिगत अवधारणा में दलितों का शोषण होता रहा और प्रबुद्ध वर्ग इन पर शासन किया और उनके भोग वादी प्रवृत्ति के कारण आज पूरे भारत का परिदृश्य त्रासदी भरा है, विचारणीय है।
उसी के समाधान के लिए हमारी पार्टी का ये विचार आपके चिंतन- मनन के लिए है हमारी पार्टी कहती है। मनुर भवः
जनतंत्र में नंबर की बड़ी भूमिका है। नंबर अकेला काम नहीं करता समुदाय में चाहने की शक्ति होनी चाहिए। आज भी बहुत सारी जातियां ऐसी हैं, जो जनतंत्र में खट-खट भी नहीं कर पायी। जनतंत्र में अस्मिता जरूरी है।
लोकतंत्र में जन- जन के अस्तित्व और अस्मिता की रक्षा दलित संवर्ग में नहीं हो पा रही है।
श्री राम ऐसे पहले व्यक्ति थे जिन्होंने धार्मिक आधार पर संपूर्ण अखंड भारत के दलित और आदिवासियों को एक जूट कर दिया था।
जबकि भारत में दलितों का साल 1980 पटना के पास बेल्ची गांव में कुर्मी समुदाय के लोगों ने दलितों को हत्या कर दी थी और पूरे भारत में दलितों के साथ हत्या, शोषण, अत्याचार,
बलात्कार आज तक होते आ रहा है।
जबकि भारत में 2011 जनगणना के तहत दलितों की कुल आबादी 16.6फीसद है।
भारत की सभी राजनीतिक पार्टी चुनाव के समय दलितों के ऊपर बड़े-बड़े उदाहरण देते हैं फिर दलितों के साथ अत्याचार क्यों ?
सभी राजनीतिक दलों को इस पर विचार करने की जरूरत है ?
उन्होंने सवाल उठाया है
१. इतिहासकार भूल गए हैं कि दलितों की देश की आजादी में क्या भूमिका रही ?
२. दलित चेतना का निर्माण राजनीति से नहीं होता.
चेतना लंबी प्रक्रिया है ?
३. सभी राज्यों में दलित का शोषण हो रहा है ?
४. पूरे भारत में प्रत्येक साल दलित उत्पीड़न के मामलों में तेजी बढ़ोतरी हो रही है ?
५. राजनीतिक दलों के द्वारा दलित समुदाय को हमेशा धोखा में रखा गया क्यों ?