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खगड़िया लोकसभा : अपने गृह जिले में चिराग पासवान को अपने पिता के विरासत को बचा पाना आसान नहीं होगा..

खगड़िया, बिहार दूत न्यूज।

लोकसभा अपने अस्तित्व में पहली बार 1957 में आया था । जहाँ से 2019 तक 16 सांसद दिल्ली संसद भवन पहुँच चुके हैं ।

खगड़िया लोकसभा से दिल्ली संसद भवन पहुंचे सांसद में :-

*1957 जियालाल मंडल, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस
*1962 जियालाल मंडल, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस
*1967 कामेश्वर सिंह, संयुक्ता सोशलिस्ट पार्टी
*1971 शिवशंकर प्रसाद यादव, संयुक्ता सोशलिस्ट पार्टी
*1977 ज्ञानेश्वर प्रसाद यादव, जनता पार्टी
*1980 सतीश प्रसाद सिंह, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस
*1984 चन्द्रशेखर प्रसाद वर्मा, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस
*1989 रामशरण यादव, जनता दल
*1991 रामशरण यादव, जनता दल
*1996 अनिल कुमार यादव, जनता दल
*1998 शकुनि चौधरी, समता पार्टी
*1999 रेणु कुमारी कुशवाहा, जदयू
*2004 डॉ आर के राणा, राजद

*वर्ष 2008 के लोकसभा परिसीमन बनने के बाद*

*2009 दिनेश चन्द्र यादव, जदयू
*2014 चौधरी महबूब अली कैसर, लोजपा
*2019 चौधरी महबूब अली कैसर, लोजपा

2024 के लोकसभा चुनाव में खगड़िया लोकसभा सीट से जहाँ एक तरफ लोजपा (रा) पार्टी राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) की ओर से अपने प्रत्याशी राजेश वर्मा को जीत दिलाने के लिए जोर आजमाइश कर रहे हैं । वहीं दूसरी ओर इण्डिया गठबंधन के प्रत्याशी सीपीआई (एम) के प्रत्याशी संजय कुमार कुशवाहा को जीत के लिए कोई कोर कसर छोड़ने की फिराक में नहीं है । इण्डिया गठबंधन ने खगड़िया लोकसभा में जाति समीकरण को देखते हुए अपने उम्मीदवार के रूप में संजय कुमार कुशवाहा को खगड़िया लोकसभा सीट से सीपीआई (एम) पार्टी से मैदान में उतारा है । ऐसे में लोजपा (रा) प्रत्याशी राजेश वर्मा को खगड़िया के किले को फतह कर पाना आसान नहीं होगा । क्योंकि खगड़िया लोकसभा सीट पर स्थानीय उम्मीदवार को नहीं देना चिराग पासवान के लिए सिर दर्द बन चुका है । लोजपा (रा) प्रमुख चिराग पासवान के लिए एक तरफ जहाँ खगड़िया लोकसभा सीट प्रतिष्ठा बन चुका है तो वहीं दूसरी तरफ लोजपा (रा) प्रत्याशी को लेकर खगड़िया लोकसभा में लोजपा (रा) पार्टी समेत एनडीए सहयोगियों को भी सहेजना खगड़िया लोकसभा में चिराग पासवान के लिए टेढ़ी खीर के समान है । हलांकि एनडीए गठबंधन की तरफ से एक जुटता की बात कही जा रही है । लेकिन इसके बाबजूद भी बताया जा रहा है कि पार्टी प्रत्याशी को लेकर कुछ लोजपा (रा) खेमा, कुछ जदयू खेमा तो कुछ भाजपा खेमा में चिराग पासवान के प्रति नराजगी चल रहा है । हाल ही में खगड़िया लोकसभा से 2014 एवं 2019 के लोजपा से रहे निवर्तमान सांसद चौधरी महबूब अली कैसर लोजपा को छोड़कर महागठबंधन के राजद में शामिल होकर चिराग पासवान को एक बड़ा चुनौती दिया है तो वहीं खगड़िया लोकसभा के अलोली विधानसभा का प्रतिनिधित्व कर चुके पशुपति कुमार पारस भी चिराग पासवान से नराज चल रहे हैं, जिसका खामियाजा भी लोजपा ( रा) पार्टी प्रत्याशी राजेश वर्मा को भुगतने से इंकार नहीं किया जा सकता है । अब देखना है कि इस सब चुनोतियों को स्वीकार करते हुए चिराग पासवान अपने गृह जिला खगड़िया में अपने पिता की विरासत को बचा पाते हैं या नहीं?

*खगड़िया लोकसभा के 6 विधानसभा*

1. हसनपुर विधानसभा (समस्तीपुर जिला)
2. सिमरी बख्तियारपुर विधानसभा (सहारसा जिला)
3. खगड़िया विधानसभा
4. अलौली विधानसभा
5. परबत्ता विधानसभा
6. बेलदौर विधानसभा

*बताया जाता है कि खगड़िया लोकसभा में जाति समीकरण इस प्रकार है :-*

* पंचकोनियां – 29 प्रतिशत
* यादव – 16 प्रतिशत
* कोयरी+कुर्मी – 12 प्रतिशत
* मुस्लिम – 9 प्रतिशत
* अन्य शिड्युल कास्ट – 9 प्रतिशत
* अगरी जाति – 8 प्रतिशत
* मल्लाह, निषाद – 8 प्रतिशत
* मुसहर – 5 प्रतिशत
* पासवान – 4 प्रतिशत

2024 के लोकसभा चुनाव में खगड़िया लोकसभा से मुख्य रूप से इण्डिया गठबंधन से सीपीएम के प्रत्याशी संजय कुमार कुशवाहा हैं तो वहीं एनडीए गठबंधन से लोजपा (रा) के प्रत्याशी राजेश वर्मा हैं । ज्यों ज्यों चुनाव नजदीक आते जा रहा है त्यों त्यों प्रत्याशी अपने अपने समर्थन के लिए अपने घटक दलों के सहयोगियों के साथ जनता के बीच जाकर अपने अपने गठबंधन के आला कमान के वादे से जनता को अवगत करा रहे हैं लेकिन जनता वर्तमान जनसमस्याओं को लेकर नेता जी एवं उनके सहयोगियों की बातें को अनसुना कर रहे हैं ।जो पार्टी प्रत्याशियों को परेशानी में डाल रखा है । दबी जुबान को लिया जाए तो पार्टी प्रत्याशी को भीतरघात का सामना से इंकार नहीं किया जा सकता है । क्योंकि घटक दलों के नेताओं में ही अपने अपने सम्मान को लेकर एक दूसरे से नराजगी चल रही है । जिसका खामियाजा पार्टी प्रत्याशी को चुनाव में भुगतना पड़ेगा । ऊंट किस करवट बैठेगा ये तो समय आने पर पता चलेगा कि खगड़िया लोकसभा की जनता किस ओर करवट लेंगे । जनता का खामोशी पार्टी प्रत्याशी के धड़कन को तेज कर रखा है । चुनाव को लेकर अभी तक जनता में उत्साह नहीं देखने को मिल रहा है ।

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