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बिहार दूत न्यूज, पटना।

बिहार विधानसभा में विपक्ष के नेता विजय कुमार सिन्हा ने शनिवार को रोजगार के मुद्दे पर महागठबंधन की सरकार को घेरा। उन्होंने कहा कि एनडीए की सरकार में चयनित कर्मचारियों को नियुक्त पत्र बांटकर महागठबंधन की सरकार तालियां बजवा रही हैं। उन्होंने कहा कि सरकारी नियुक्तियों को भ्रष्टाचारमुक्त बनाने से ही प्रतिभा को सम्मान मिलेगा। लेकिन मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री के कार्य और व्यवहार से यह संभव नहीं लगता है।

उन्होंने चुनौती देते हुए कहा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार में हिम्मत है तो विधानसभा को भंग करें और जनादेश प्राप्त करने के बाद रोजगार का सृजन करके दिखाए। कहा कि राजद के शासनकाल में नियुक्ति पत्र भी लेने से लोग घबराएंगे क्योंकि उन्हें डर होगा कि कहीं नौकरी देने के बाद जमीन या संपत्ति ही अपने नाम लिखवा लें।

बिहार विधानसभा के पूर्व अध्यक्ष श्री सिन्हा ने कहा कि मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री जो नियुक्ति पत्र बांट रहे हैं वह एनडीए की सरकार थी तब ही रोजगार का सृजन किया गया था।

उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री जी अगर सच में बिहार में अगर आप रोजगार सृजन करना चाहते हैं तो केवल राज्य में भ्रष्टाचार और अपराध पर इमानदारी से लगाम लगा दीजिए लोग खुद ब खुद रोजगार पा लेंगे। उन्होंने कहा कि हकीकत है कि सरकार ही लोगों का रोजगार छीनने का काम कर रही है। सरकार अगर अपराध और भ्रष्टाचार पर अंकुश लगा दे तो जितने लोग आज रोजगार कर अपनी रोजी रोटी चला रहे हैं उनका भला हो जाएगा। लगातार बढ़ रहे अपराध के कारण बिहार के व्यवसायी दहशत में हैं।

 

उन्होंने कहा कि इससे पहले भी तेजस्वी यादव को मौका मिला था, तो उस समय क्यों नहीं रोजगार दे पाए थे। 1990 से 2005 तक 15 साल तेजस्वी यादव के माता -पिताजी सत्ता में थे, लेकिन तब किस क्षेत्र में लोगों को रोजगार मिला था, यह देश ही नहीं पूरी दुनियां जानती है। 2015 के बाद आप भी कई महीनों तक उपमुख्यमंत्री थे, तब कितना रोजगार दिए थे।

उन्होंने कहा कि नीतीश कुमार दावा करते हैं कि न किसी को बचाते हैं और ना ही फंसाते हैं, तो डीजीपी को कैसे बचा रहे ? आपने बिना जांच के क्लीन चिट कैसे दे दी? अपराधियों का मनोबल इससे बढेगा या घटेगा? निवेशक क्या ऐसी परिस्थिति में बिहार आ पाएंगे ? पूरे बिहार की जनता अब आपके कथनी और करनी के अंतर को पहचान चुकी है। सरकार को इन प्रश्नों का जवाब देना चाहिए।

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