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अक्षय तृतीया पर बाल विवाह रोकने के लिए मुस्तैद हुई बिहार सरकार, गैरसरकारी संगठनों का भी मिला साथ

समस्तीपुर : जवाहर ज्योति बाल विकास केन्द्र के सचिव सुरेन्द्र कुमार ने बाल विवाह रोक थाम को लेकर बताया कि महिला एवं बाल विकास निगम, बिहार सरकार नें अक्षय तृतीया के दिन बाल विवाह की रोकथाम सुनिश्चित करने के लिए जिले के अफसरों को दिए निर्देश। वहीं अधिकारियों को जनजागरूकता कार्यक्रम आयोजित करने के निर्देश दिया गया। बाल विवाह मुक्त भारत अभियान के सहयोगी संगठन जवाहर ज्योति बाल विकास केन्द्र नें बिहार सरकार के इस पहल का स्वागत करते हुए कहा – हम इसे सफल बनाने के प्रयासों में करेंगे पूरा सहयोग।अक्षय तृतीया के मद्देनजर बिहार सरकार नें बाल विवाहों को रोकने के उपायों के तहत् जिलाधिकारियों के मार्फत जमीनी स्तर के सरकारी अमले को यह सुनिश्चित करने के निर्देश दिए हैं कि इस दौरान राज्य के किसी भी गांव या प्रखंड में बाल विवाह नहीं होने पाए। राज्य सरकार की यह पहल जो हर पंचायत को बाल विवाह मुक्त बना सकती है, का स्वागत करते हुए बाल विवाह मुक्त भारत अभियान के गठबंधन सहयोगी जवाहर ज्योति बाल विकास केन्द्र नें कहा कि वे इस पहल की सफलता सुनिश्चित करने के लिए राज्य सरकार के प्रयासों में हरसंभव सहयोग करेंगे। बाल विवाह मुक्त भारत अभियान 2030 तक इस सामाजिक अपराध के खात्मे के लिए पूरे देश में काम कर रहे 161 गैरसरकारी संगठनों का गठबंधन है। राज्य के सभी जिला कार्यक्रम अधिकारियों व जिला बाल संरक्षण इकाई और बाल विवाह निषेध अधिकारियों को भेजे गए इस पत्र में कहा गया है कि तात्कालिक कदम के रूप में गांवों में जागरूकता अभियान आयोजित होने चाहिए और इस दौरान पंचायत प्रतिनिधियों, सभी धर्मों के पुरोहितों, पंडितों , मौलवियों व पादरियों सहित पुलिस अफसरों के साथ बड़े पैमाने पर संपर्क करने और उन्हें जागरूक करने की जरूरत है। पत्र में सभी जिलाधिकारियों को आम जनता को जागरूक करने के लिए मीडिया के माध्यम से अभियान चलाने के अलावा पढ़ाई बीच में छोड़ने वाले बच्चों और बिना सूचना दिए स्कूल से नदारद चल रहे बच्चों की विद्यालय वार सूची तैयार करने के भी निर्देश दिए गए हैं। महिला एवं बाल विकास निगम नें राज्य के सभी मुख्य विवाह पंजीयकों और ग्रामीण व शहरी क्षेत्रों के विवाह पंजीयकों को अपनें क्षेत्राधिकार में पंजीकृत होने वाले विवाहों की संख्या और उसमें दर्ज दुल्हन की उम्र की जांच व छानबीन के लिए उचित कदम उठाने का निर्देश भी दिया है। इसमें कहा गया है कि आवेदकों के आयु प्रमाण के दस्तावेजों से संबंधित किसी तरह का संदेह होने पर इसकी सूचना संबंधित बाल विवाह निषेध अधिकारी सह अनुमंडल पदाधिकारी (सीएमपीओ) को दी जानी चाहिए। अधिसूचना के अनुसार, पंचायतों में, पंचायत सचिव को पहले हीं सीएमपीओ नामित किया जा चुका है । बाल विवाह को रोकने के लिए इस वर्ष बिहार सरकार के कड़े रुख की सराहना करते हुए बाल विवाह मुक्त भारत अभियान के राष्ट्रीय संयोजक श्री रविकांत नें कहा, बाल विवाह की चुनौती से निपटने के लिए बिहार सरकार का बहुआयामी दृष्टिकोण सरकार की प्रतिबद्धता और इस मुद्दे पर उसकी समझ का परिचायक है। जब राज्य सरकारें इस तरह के कदम उठाएंगी तभी हम बाल विवाह जैसे सामाजिक अपराध को अपनें सामाजिक ताने-बाने से शीघ्रता से और प्रभावी तरीके से खत्म करनें में कामयाब होंगे। बिहार लगातार इस बुराई के खिलाफ संघर्ष कर रहा है और उसनें उल्लेखनीय नतीजे हासिल किए हैं। इस अक्षय तृतीया के मौके पर जारी यह परिपत्र बाल विवाह मुक्त बिहार के सपनें को हकीकत में बदलने में भुमिका सुनिश्चित करने में सहायक होगा। बाल विवाह मुक्त भारत अभियान अपनें सहयोगी संगठनों के साथ मिलकर देश में बाल विवाह के राष्ट्रीय औसत से ज्यादा दर वाले जिलों में बाल विवाह के खिलाफ अभियान चला रहा है। सहयोगी गैरसरकारी संगठन कैलाश सत्यार्थी चिल्ड्रेन्स फाउंडेशन के बाल अधिकार कार्यकर्ता सह सर्वोच्च न्यायालय के अधिवक्ता भुवन ऋभु लिखित बेस्टसेलर किताब व्हेन चिल्ड्रेन हैव चिल्ड्रेन : टिपिंग प्वाइंट टू इंड चाइल्ड मैरेज में सुझाई गई रणनीतियों और कार्ययोजना को राज्य सरकारें अंगीकार करते हुए उस पर अमल कर रहें हैं।

इस बीच, बाल विवाह के खात्मे के लिए बिहार के समस्तीपुर में जमीनी स्तर पर काम कर रहे गैरसरकारी संगठन जवाहर ज्योति बाल विकास केन्द्र नें राज्य सरकार की इस पहल को समर्थन दिया है। संगठन जवाहर ज्योति बाल विकास केन्द्र के सचिव सुरेन्द्र कुमार नें कहा अक्षय तृतीया बाल विवाह के लिहाज से संवेदनशील समय है। राज्य सरकार नें इस सामाजिक बुराई के खिलाफ जो दृढ़ रुख अपनाया है, उससे हम आश्वस्त हैं कि हम राज्य से इस बुराई को उखाड़ फेंकने के अपनें लक्ष्य में जल्द हीं सफल होंगे। हम इन पहलों का स्वागत करते हैं और इस बुराई को उखाड़ फेंकने के लिए राज्य सरकार के साथ कंधे से कंधा मिला कर खड़े हैं। हम इन प्रयासों में पूरी तरह से सहयोग के लिए वचनबद्ध हैं।

राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वे-5 (एनएफएचएस 2019-21) के आंकड़ों के अनुसार देश में 20 से 24 आयुवर्ग की 23.3 प्रतिशत लड़कियों का विवाह उनके 18 वर्ष की होने से पहले हीं हो गया था जबकि बिहार में यह दर 40.8 प्रतिशत है जो राष्ट्रीय औसत से बहुत ज्यादा है।

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