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टीबी मरीज को बच्चों व बुजुर्गों से दूरी बना कर रहना चाहिए: जिला यक्ष्मा पदाधिकारी..

पूर्णिया: टीबी संचारी रोग है, जो एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में आसानी से और तेजी के साथ फैलता है। इसलिए भी टीबी रोगियों को पूरी तरह से सावधानी बरतने की आवश्यकता होती है। टीबी संक्रमित के यत्र-तत्र खांसने, थूकने या बलग़म फेंकने से इसके संक्रमण फैल सकता है। इसीलिए खांसी आने पर मुंह पर रुमाल या कोई कपड़ा जरूर रख लेना चाहिए। इधर-उधर थूकने से परहेज करना चाहिए। टीबी मरीज को अपने घर के लोगों खासकर बच्चों एवं बुजुर्गों से दूरी बना कर रहना चाहिए। जिला यक्ष्मा पदाधिकारी डॉ मोहम्मद साबिर ने बताया कि जिले में निजी चिकित्सकों द्वारा भेजे गये सामान्य मरीज़ों की संख्या अभी 1367 हैं। जिसमें जनवरी में 10, फ़रवरी में 35, मार्च में 159, अप्रैल में 212, मई में 230, जून में 214, जुलाई में 255 एवं अगस्त महीने में 252 टीबी मरीज मिले हैं। इनका निःशुल्क उपचार किया जा रहा है।

नियमित रूप से करें दवा का सेवन नहीं तो बढ़ जाएगी कीड़े की सक्रियता: डॉ साबिर
सीडीओ डॉ मोहम्मद साबिर ने बताया कि टीबी मरीजों को लगातार 6 से 8 महीने तक दवा खाना आवश्यक है। यदि बीच में दवा बंद किया गया तो बीमारी और घातक रूप ले सकती है। बीच में दवा छोड़ने से टीबी के कीड़े फिर से सक्रिय और ज़्यादा खतरनाक हो जाते हैं। दवा की 6 से 8 महीने तक की नियमित खुराक लेने से मरीज पूरी तरह ठीक हो जाता है। टीबी बीमारी के शुरुआती लक्षणों के दौरान ही दवा खाना शुरू कर देना चाहिए। क्योंकि 6 से 8 महीने तक की जो टीबी बीमारी की खुराक होती है उसे लगातार सेवन करने के बाद टीबी संक्रमित व्यक्ति पुनः ठीक हो जाता है।

नियमित रूप से दवा और पौष्टिक आहार जरूरी: डीपीएस
डीपीएस राजेश कुमार शर्मा ने बताया कि राजकीय चिकित्सा महाविद्यालय सह अस्पताल परिसर स्थित जिला यक्ष्मा केंद्र में सीबी नेट एवं ट्रूनेट के माध्यम से बलगम की जांच की जाती है। विभाग द्वारा 51 एमडीआर टीबी मरीजों को दवा खिलाई जा रही है। टीबी से संबंधित सभी तरह की जांच पूरी तरह से निःशुल्क है। टीबी के लक्षण दो सप्ताह तक लगातार खांसी का रहना, भूख नहीं  लगना, लगातार वजन का कम होना, रात में सोते वक्त पसीना आना आदि टीबी प्रमुख लक्षण हैं। अगर ऐसा कोई दिखाई दें तो तुरंत नज़दीकी अस्पताल जाकर टीबी की जांच कराएं। टीबी मरीज़ों को दवा सेवन के दौरान नशा का सेवन बिल्कुल नहीं करना चाहिए। इसके साथ ही पौष्टिक आहार के साथ ही अनिवार्य रूप से नियमित तौर पर दवा का सेवन करना चाहिए ।

प्राथमिकता के आधार पर टीबी मरीज़ों का किया जाता है फ़ॉलोअप: एसटीएस
रेफ़रल अस्पताल अमौर में कार्यरत एसटीएस उमेश कुमार ने बताया कि यहाँ टीबी संक्रमण से संबंधित मरीज़ों की संख्या शून्य के बराबर है। वर्ष 2021 में मात्र 6 एमडीआर के मरीज मिले थे जिनको नियमित रूप से दवा खिलाई गई और अब वे लोग अब पूरी तरह से ठीक हो चुके हैं। इस वर्ष अगस्त महीने तक मात्र 3 एमडीआर मरीज़ संक्रमित मिले हैं जिनका उपचार चल रहा है। जितने मरीज़ों को दवा खिलाई जाती है समय-समय पर उनका फ़ॉलोअप भी किया जाता है। इसके साथ ही उन्हें पोषण से संबंधित जानकारी एवं डीबीटी को लेकर भी जानकारी दी जाती है।

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